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भारतीय भाषाओं में अच्छी गुणवत्ता का वैज्ञानिक साहित्य जरूरी

Good quality scientific literature in Indian languages

नई दिल्ली, 22 मार्च 2022: केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारतीय भाषाओं में उच्च स्तर के प्रकाशन और अच्छी गुणवत्ता वाले वैज्ञानिक साहित्य तैयार करने के लिए आह्वान किया है।

जेएनयू के शोध छात्र की पुस्तक का विमोचन कर रहे थे डॉ जितेंद्र सिंह

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के शोध छात्र सबरीश पी.ए. की पुस्तक “ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ साइंस इन इंडिया” (Jawaharlal Nehru University (JNU) research student Sabreesh P.A. Book of “A Brief History of Science in India”) का सोमवार को औपचारिक विमोचन करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन में विज्ञान ने न केवल मानव जीवन के हर क्षेत्र छुआ है, बल्कि यह जीवन को आसान बनाने का साधन भी बनकर उभरा है।

इस अवसर पर जेएनयू की नवनियुक्त कुलपति प्रोफेसर शांतिश्री पंडित और अन्य शिक्षक उपस्थित थे।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत एक स्थायी विचार है, जिसमें उप-विचारों की रचना करने और उत्पन्न करने की एक बड़ी क्षमता है। उन्होंने कहा कि भारत को इस बारे में शिक्षित होने की जरूरत नहीं है कि विज्ञान क्या है (what is science), क्योंकि प्राकृतिक रूप से भारतीयों का स्वभाव वैज्ञानिक है, जो पर्याप्त साधनों और संसाधनों के बिना भी अस्तित्व में है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने इसका उल्लेख किया कि हमारे संसाधन हमारी क्षमता की तुलना में अधिक हैं।

उन्होंने आगे कहा कि हमने हमेशा विश्व को अनुसंधान संसाधन उपलब्ध कराए हैं। आजादी से पहले भी पश्चिमी शोधकर्ता, विशेष रूप से चिकित्सा शोधकर्ता, प्राचीन विषयों की खोज में नियमित रूप से भारत आते रहते थे और यहाँ पर कुछ महान खोजें की गईं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा,

“यह औपनिवेशिक मानसिकता है कि हमारे संसाधनों और परिणाम के बीच मेल नहीं है, जिसने हमें एक वैज्ञानिक होने के सम्मान से वंचित कर दिया है।”

उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को इसके लिए धन्यवाद दिया कि जब से वे प्रधानमंत्री बने हैं, इस सम्मान की बहाली हो रही है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत न केवल सबसे पुरानी, बल्कि सबसे जीवंत सभ्यता है। उन्होंने कहा कि एक मानव के रूप में हम, जिसकी खोज नहीं की जा सकी है, उसकी खोज के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।

डॉ सिंह ने उल्लेख किया कि आज के वैश्विक विकास का निर्माण विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार की नींव पर किया गया है, और इसके परिणामस्वरूप उत्पन्न क्रांति ने हमें आधुनिकता की ओर बढ़ाया है। हालांकि, भारत के वैज्ञानिक अतीत की गहरी समझ से पता चलता है कि वैश्विक दार्शनिक और वैज्ञानिक उदारता की नींव भारतीय धरती पर रखी गई थी।

भारत के स्टार्ट-अप आंदोलन पर जोर देते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि जेएनयू जैसे विश्वविद्यालयों को विज्ञान की खोज को सम्मान प्रदान करने में अपनी प्रभावी भूमिका निभानी होगी।

(इंडिया साइंस वायर)

Topics: Science, JNU, History of Science, Scientific literature, Indian languages, science & technology, Scientific temper, Science Book.

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