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कोवैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने की तैयारी

Preparations to increase Covaxin production

Bharat Biotech Expands Vaccine Supply | Bharat Biotech Vaccine | Covaxin News

नई दिल्ली, 18 मई : कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर पर नियंत्रण और इसकी तीसरी लहर की दस्तक को रोकने में टीकाकरण अहम हथियार हो सकता है। भारत सरकार ने स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन कोवैक्सीन के उत्पादन की रफ्तार को तेज करने का फैसला किया है। इसके लिए सरकार ने आत्मनिर्भर भारत 3.0  और मिशन कोविड सुरक्षा का ऐलान किया है। बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (बाइरैक), नई दिल्ली में जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा इस मिशन को मूर्त रूप दिया जा रहा है। टीकों की उपलब्धता बढ़ने से देश में संचालित दुनिया के सबसे बड़े कोविड-19 टीकाकरण अभियान को गति देने में मदद मिल सकेगी।

इस मिशन के अंतर्गत जैव प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से गत माह अप्रैल में वैक्सीन विनिर्माताओं को वित्तीय मदद उपलब्ध करायी गई है।

इन विनिर्माताओं से अपेक्षा है कि वे कोवैक्सीन का उत्पादन इस दर से बढ़ाएं ताकि सितंबर माह तक हर महीने 10 करोड़ कोवैक्सीन टीकों का उत्पादन किया जा सके।

इस योजना को साकार करने के लिए भारत बायोटेक लिमिटेड, हैदराबाद सहित सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य विनिर्माताओं को आवश्यक बुनियादी ढांचे और तकनीकों से समृद्ध किया जा रहा है। इसके लिए भारत सरकार की ओर से अनुदान के रूप में वित्तीय मदद भी उपलब्ध करायी जा रही है। इसी कड़ी में भारत बायोटेक की बेंगलूरू इकाई को करीब 65 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया है। इस इकाई से उत्पादन में बढ़ोतरी होने की उम्मीद की जा रही है।

सार्वजनिक क्षेत्र की तीन अन्य कंपनियों को भी कोवैक्सीन उत्पादन की क्षमता बढ़ाने के लिए हर संभव सहायता उपलब्ध करायी जा रही है। इसके लिए महाराष्ट्र सरकार के उपक्रम हैफकाइन बायोफार्मास्यूटिकल कॉरपोरेशन लिमिटेड, मुंबई, इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड (आईआईएल), हैदराबाद और भारत इम्यूनोलॉजिकल्स ऐंड बायोलॉजिकल्स लिमिटेड (बिबकॉल), बुलंदशहर का चयन किया गया है।

भारत सरकार द्वारा हैफकाइन को 65 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी जा चुकी है, ताकि वह वैक्सीन उत्पादन के लिए आवश्यक ढांचा विकसित कर सके। परिचालन की स्थिति में आने पर यह इकाई हर महीने दो करोड़ टीकों के उत्पादन में सक्षम होगी। इसी तरह नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की हैदराबाद स्थित इकाई आईआईएल को भी भारत सरकार 60 करोड़ रुपये का अनुदान जारी कर चुकी है। इसी तर्ज पर भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के उपक्रम बिबकॉल, बुलंदशहर को 30 करोड़ रुपये का अनुदान मिला है। यह इकाई हर माह एक से डेढ़ करोड़ टीकों के उत्पादन में सक्षम होगी।

इनके अतिरिक्त गुजरात सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र, हेस्टर बॉयोसांइसेज और ओमनी-बीआरएक्स के साथ मिलकर भी कोवैक्सीन के उत्पादन की योजना पर काम कर रहा है। उनका लक्ष्य हर महीने कम से कम दो करोड़ टीके तैयार करने का है। इस मामले में सभी विनिर्माताओं के साथ अनुबंधों को अंतिम रूप देकर तकनीकी हस्तांतरण की प्रक्रिया भी संपन्न की जा चुकी है। (इंडिया साइंस वायर)

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