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यह नया भारत है, जिसमें तबाही को राष्ट्रहित कहा जाता है

रेलवे अब 130 किलोमीटर प्रति घण्टा रफ्तार से चलने वाली ट्रेनों में स्लीपर डिब्बे नहीं लगाएगा। यानी अब तक जितनी ट्रेनों को मेल एक्सप्रेस या सुपरफास्ट कहा जाता था, उसमें स्लीपर कोच नहीं लगेगा।

मतलब अब तक जो लाखों लोग रोजाना दिल्ली से गोरखपुर या पटना की यात्रा 400 से 500 रुपये में कर लेते थे, उन्हें अब कम से कम एसी थ्री टियर में यात्रा करना होगा और 1400 से लेकर 1800 रुपये किराया देना पड़ेगा।

आपको याद होगा कि जार्ज फर्नांडिस ने रेलवे में एक दिन हड़ताल कराई तो हाहाकार मच गया कि कितने सौ करोड़ का घाटा हो गया। इसी तरह बैंकिग सेक्टर या किसी भी क्षेत्र में हड़ताल होने पर आप पढ़ते रहे हैं कि कितने लाख करोड़ रुपये का घाटा हो गया।

हमारे प्रधानमंत्री ने केवल अपने मनोरंजन और एडवेंचर के लिए 21 दिन के लिए देश ठप कर दिया। इसलिए कि उन्हें ताली थाली, घण्टा शंख बजवाना था, सड़कों पर जय श्री राम नारे लगवाने थे। दिए जलवाने थे। अस्पतालों के ऊपर वायुसेना से पुष्प वर्षा करानी थी। टेस्टिंग करनी थी कि हमारे कितने भक्त बचे हुए हैं।

रेल अब तक बन्द है, 6 माह होने को है। लेकिन किसी भी इंडस्ट्री ने नाराजगी नहीं जताई कि प्रधानमंत्री के इस मनोरंजन में देश को कितना नुकसान हो गया। अगर मजदूर पगार की मांग के लिए एक दिन काम बंद कर दे तो हाहाकार मच जाती है कि कम्युनिस्टों ने देश का विनाश कर दिया।

यह नया भारत है, जिसमें तबाही को राष्ट्रहित कहा जाता है।

Satyendra PS

This is New India, in which destruction is called national interest.

(सत्येंद्र पीएस की एफबी टिप्पणी साभार)

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