Indian researchers present a new option of clean energy against pollution
नई दिल्ली 26 अक्तूबर : पर्यावरण-प्रदूषण के गहराते संकट (Deepening crisis of environmental pollution) को देखते हुए स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इस दिशा में काम करते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली के शोधकर्ताओं ने स्वच्छ ऊर्जा का एक नया विकल्प पेश किया है।
शोधकर्ताओं ने स्वदेशी वनेडिअम रिडॉक्स फ्लो बैटरी (VRFB) का प्रोटोटाइप पेश किया है, जो कुशलतापूर्वक अक्षय ऊर्जा का भंडारण और उपयोग कर सकती है।
Use of this battery can also help in reducing carbon emissions
इस बैटरी का उपयोग ग्रामीण विद्युतीकरण से लेकर ई-व्हीकल चार्जिंग स्टेशन, घरेलू एवं व्यावसायिक पावर बैक-अप जैसे अनुप्रयोगों में हो सकता है। यही नहीं, इसके उपयोग से कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने में भी मदद मिल सकती है।
वनेडिअम रिडॉक्स फ्लो बैटरी का यह प्रोटोटाइप आईआईटी, दिल्ली के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के सस्टेनेबल एन्वायरोनर्जी रिसर्च लैब (एसईआरएल) के शोधकर्ताओं ने विकसित किया है। वनेडिअम रिडॉक्स बैटरी (VRB), जिसे वनेडिअम फ्लो बैटरी (VFB) या वनेडिअम रिडॉक्स फ्लो बैटरी (VRFB) के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रकार की रिचार्जेबल फ्लो बैटरी है।
वीआरएफबी में बैटरी और डीजल जेनेरेटर दोनों के सकारात्मक गुण शामिल हैं।
यह बैटरी रासायनिक क्षमता वाली ऊर्जा को संग्रहित करने के लिए विभिन्न ऑक्सीकरण अवस्थाओं में वनेडिअम आयनों का उपयोग करती है। वनेडिअम रिडॉक्स बैटरी (Vanadium redox battery) चार अलग-अलग ऑक्सीकरण अवस्थाओं में घोल बनाने के लिए वनेडिअम की क्षमता का उपयोग करती है और इस गुण का उपयोग ऐसी बैटरी बनाने के लिए करती है, जिसमें दो के बजाय सिर्फ एक इलेक्ट्रोएक्टिव तत्व होता है। स्थूल आकार और अन्य कारणों से, अधिकांश वनेडिअम बैटरियां ग्रिड ऊर्जा भंडारण के लिए उपयोग की जाती हैं, अर्थात, वे बिजली संयंत्रों या विद्युत ग्रिड से जुड़ी होती हैं।
Vanadium redox battery manufacturers
सस्टेनेबल एन्वायरोनर्जी रिसर्च लैब (एसईआरएल), आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर अनिल वर्मा ने बताया कि
“वनेडिअम रिडॉक्स फ्लो बैटरी एक प्रदूषण रहित, टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल विकल्प है। फ्लो बैटरी और पारंपरिक बैटरी के बीच प्रमुख अंतर ऊर्जा क्षमता की स्वतंत्र रूप से स्केलिंग है। फ्लो बैटरी kWh से MWh रेंज तक ऊर्जा स्टोर कर सकती है और पारंपरिक बैटरी के विपरीत कम लागत के साथ लंबे समय तक चलने के लिए उपयुक्त है।”
स्वदेशी रूप से विकसित इस वीआरएफबी तकनीक को लेकर शोधकर्ता उत्साहित हैं और वे सक्रिय रूप से विभिन्न राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले रहे हैं, ताकि इस तकनीक का प्रचार-प्रसार किया जा सके। उनकी कोशिश इस बैटरी को प्रयोगशाला से निकालकर इसका सामाजिक उपयोग सुनिश्चित करने की है। आईआईटी, दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर वी. रामगोपाल राव ने इस बैटरी प्रोटोटाइप का उद्घाटन करते हुए शोधकर्ताओं के प्रयत्न को सराहा है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आपातकालीन उपयोग को छोड़कर पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम एवं नियंत्रण) प्राधिकरण द्वारा 15 अक्तूबर 2020 से डीजल जेनरेटर्स के उपयोग पर रोक लगा दी गई है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि फ्लो बैटरीज डीजल जेनेरेटर्स का बेहतर विकल्प हो सकती हैं। आईआईटी, दिल्ली द्वारा जारी किए गए वक्तव्य में बताया गया है कि सस्टेनेबल एन्वायरोनर्जी रिसर्च लैब (एसईआरएल) के शोधकर्ताओं ने प्रोफेसर अनिल वर्मा के नेतृत्व में इस अध्ययन से संबंधित पाँच पेटेंट फाइल किए हैं।
(इंडिया साइंस वायर)
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