Sensor technology will ensure welding quality
TCS and IIT Kharagpur jointly developed the latest Industry-4.0 technology
नई दिल्ली, 24 अक्तूबर : नये युग में औद्योगिक ऑटोमेशन (Industrial automation in the new era) तेजी से बढ़ रहा है, जिसके लिए बड़े पैमाने पर मशीन-टू-मशीन संचार और इंटरनेट ऑफ थिंग्स– Internet of things (आईओटी) आधारित बेहतर संचार एवं निगरानी की एकीकृत व्यवस्था पर ध्यान दिया जा रहा है। इस पूरी प्रक्रिया में ऐसी स्मार्ट मशीनों का उत्पादन शामिल है, जो मानव हस्तक्षेप के बिना उत्पादन से जुड़ी समस्याओं का विश्लेषण और निदान कर सकती हैं। चौथी औद्योगिक क्रांति – Fourth industrial revolution (इंडस्ट्री-4.0) के मौजूदा दौर में इन स्मार्ट तकनीकों के उपयोग से पारंपरिक विनिर्माण और औद्योगिक कार्यप्रणालियों के ऑटोमेशन पर विशेष बल दिया जा रहा है।
टीसीएस और आईआईटी खड़गपुर ने मिलकर विकसित की है नवीनतम इंडस्ट्री-4.0 तकनीक
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), खड़गपुर और सूचना एवं प्रौद्योगिकी सेवा प्रदाता कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (Tata Consultancy Services) (टीसीएस) ने संयुक्त रूप से मिलकर एक नवीनतम इंडस्ट्री-4.0 तकनीक विकसित की है, जो देश के विनिर्माण-क्षेत्र में नये चलन स्थापित करने में प्रभावी हो सकती है।
The industrial process of Friction stir welding (FSW)
इस नवोन्मेषी पहल के अंतर्गत फ्रिक्शन स्टर वेल्डिंग की औद्योगिक प्रक्रिया में सुधार करके उसे अत्याधुनिक बहु-संवेदी तंत्र में परिवर्तित किया गया है। इसे विकसित करने वाले शोधकर्ताओं का कहना है कि यह तकनीक विभिन्न सेंसरों के जरिये वेल्डिंग प्रक्रिया के बारे में वास्तविक समय में जानकारी प्राप्त करेगी और फ्रिक्शन स्टर वेल्डिंग मशीन के साथ क्लाउड-आधारित संचार से वेल्ड गुणवत्ता को ऑनलाइन नियंत्रित करेगी।
The latest industry-4.0 technology will also reduce the cost of production
इस नई तकनीक ने दूर से फैक्ट्री संचालन, नियंत्रण और वास्तविक समय में गुणवत्ता सुधार एवं मानकीकृत गुणवत्ता प्राप्त करने को संभव बना दिया है। इससे उत्पादन की लागत में भी कमी आएगी।
Indigenous Developed Industry-4.0 Technologies
आईआईटी खड़गपुर के निदेशक प्रोफेसर वीरेंद्र के. तिवारी ने ‘मेक इन इंडिया‘ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए औद्योगिक उत्पादन से जुड़ी चौथी पीढ़ी की इन तकनीकों की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा कि
“स्वदेशी उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए हमारा लक्ष्य न्यूनतम अवरोधों के साथ गुणवत्तापूर्ण उत्पादन पर केंद्रित होना चाहिए। ये दोनों ऐसी बुनियादी जरूरतें हैं, जिन पर खरा उतरने पर हमारे औद्योगिक क्षेत्र को बड़ी मात्रा में ऑर्डर प्राप्त करने में मदद मिल सकती है। उन्नत विनिर्माण प्रौद्योगिकी में आईआईटी खड़गपुर के उत्कृष्टता केंद्र में हमने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्वदेशी रूप से विकसित इंडस्ट्री-4.0 प्रौद्योगिकियों को लाने के लिए अपना लक्ष्य निर्धारित किया है। ये प्रौद्योगिकियां हमारे औद्योगिक क्षेत्र का समर्थन करने में प्रभावी हो सकती हैं।”
यह तकनीक आईआईटी खड़गपुर के ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन एडवांस्ड मैन्यूफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी’ के प्रमुख प्रोफेसर सुरज्य के. पाल द्वारा विकसित की गई है। “वेल्डिंग किसी भी औद्योगिक संरचना में बेहद अहम होती है। वास्तविक समय में वेल्डिंग गुणवत्ता में सुधार हो जाए तो उत्पादन के बाद उत्पादों की छंटनी या फिर अस्वीकृत होने की आशंका कम हो जाती है।” इस तरह, उत्पादों के अस्वीकृत होने से बच जाने से उद्योगों को नुकसान नहीं उठाना पड़ता और उत्पादन लागत भी कम होती है।
प्रोफेसर पाल ने बताया कि
“इस बहु-संवेदी तकनीक में विभिन्न संकेतों के प्रसंस्करण और मशीन लर्निंग तकनीकों का उपयोग किया गया है, जो वेल्डिंग किए गए जोड़ की चरम तन्यता का अनुमान लगा सकती है। उत्पादन के दौरान किसी कमी का पता चलते ही निगरानी तंत्र सक्रिय हो जाता है और वास्तविक समय में सुधार करते हुए उत्पादन मापदंड से जुड़े संशोधित संकेत मशीन को भेज दिए जाते हैं, ताकि मानक गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। इस तकनीक की अवधारणा दूसरी औद्योगिक प्रक्रियाओं में भी वास्तविक समय में निगरानी और गुणवत्तापूर्ण मानक उत्पादों के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।”
टीसीएस के कार्यकारी उपाध्यक्ष एवं प्रमुख प्रौद्योगिकी अधिकारी के. अनंत कृष्णन ने कहा है कि
“अंतः स्थापित प्रणाली (Embedded Systems) एवं रोबोटिक्स, आईओटी, इंटिग्रेटेड कंप्यूटेशनल मैटेरियल्स इंजीनियरिंग (आईसीएमई) प्लेटफॉर्म से जुड़ी टीसीएस की टीमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित पूर्व सूचना प्राप्त करने और वेल्डिंग मजबूती सुनिश्चित करने की दिशा में आईआईटी खड़गपुर के साथ मिलकर काम कर रही हैं।”
आईआईटी खड़गपुर के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन एडवांस्ड मैन्यूफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी की स्थापना छह उद्योग साझीदारों के संघ के साथ मिलकर भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्रालय के तहत कार्यरत भारी उद्योग विभाग के सहयोग से की गई है। इसका उद्देश्य उन्नत विनिर्माण में नवाचार को बढ़ावा देना है। टीसीएस इस पहल में शामिल एक प्रमुख साझीदार है।
औद्योगिक उत्पादन की इन तकनीकों को इंडस्ट्री-4.0 की संज्ञा दी जाती है, जिसका अर्थ चौथी पीढ़ी की औद्योगिक उत्पादन की आईओटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित स्मार्ट एवं स्वचालित तकनीकों से है। भाप और जल शक्ति के उपयोग से मशीनों के संचालन की शुरुआत के बाद हस्तनिर्मित उत्पादन धीरे-धीरे जब मशीनों पर स्थानांतरित होने लगा, तो इसे प्रथम औद्योगिक क्रांति के रूप में चिह्नित किया गया। दूसरी औद्योगिक क्रांति वर्ष 1871 और 1914 के बीच की अवधि है, जिसके परिणामस्वरूप व्यापक रेलमार्ग और टेलीग्राफ नेटवर्क की स्थापना हुई। जबकि, तीसरी औद्योगिक क्रांति, जिसे डिजिटल क्रांति के रूप में भी जाना जाता है, 20वीं सदी के अंत में हुई, जिसने पूरे सूचना एवं संचार तंत्र को बदलकर रख दिया। (इंडिया साइंस वायर)
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